बालिका सुरक्षा पर राष्ट्रीय कार्यशाला: ‘‘भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर’’
उच्च न्यायालय के तत्वावधान में भवाली में आयोजित कार्यशाला में न्यायमूर्तियों, अधिकारियों और विशेषज्ञों ने रखा दृष्टिकोण

देहरादून/भवाली, 21 सितम्बर 2025। किशोर न्याय समिति, उत्तराखंड उच्च न्यायालय के तत्वावधान में और महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से “बालिका सुरक्षा: भारत में उसके लिए एक सुरक्षित और सशक्त वातावरण की ओर” विषय पर कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड विधिक एवं न्यायिक अकादमी, उजाला, भवाली में किया गया।
इस कार्यशाला का उद्देश्य बालिकाओं के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम, बाल विवाह पर नियंत्रण, तस्करी की रोकथाम और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर विचार-विमर्श करना तथा भविष्य की कार्ययोजना तैयार करना था। इस अवसर पर “जनरल रूल्स (क्रिमिनल)” पुस्तिका और पॉक्सो एक्ट 2012 पर सूचना पत्र का विमोचन भी किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन माननीय मुख्य न्यायाधीश श्री गुहानाथन नरेंद्र तथा माननीय न्यायमूर्ति श्री रवीन्द्र मैथानी, न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति आलोक माहरा और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।
अपने संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने महान कवि सुब्रह्मण्यम भारती को उद्धृत करते हुए बालिकाओं से निर्भीक और आत्मविश्वासी बनने का आह्वान किया। न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैथानी ने कहा कि आजादी के दशकों बाद भी यदि हमें बालिका हिंसा और बाल विवाह जैसे विषयों पर विचार करना पड़ रहा है, तो यह चिंता का विषय है। उन्होंने सभी हितधारकों से प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, अध्यक्ष किशोर न्याय समिति, ने पीसीपीएनडीटी एक्ट और एमटीपी एक्ट पर चर्चा की और इनके दुरुपयोग की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने पॉक्सो एक्ट के तहत बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पर भी विशेष जोर दिया।
न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय ने बालिका हिंसा की रोकथाम में न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका पर प्रकाश डाला। वहीं न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने संविधान और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों की चर्चा कर बालिका सुरक्षा और सशक्तिकरण की प्रासंगिकता बताई।
कार्यशाला के चार सत्रों में विभिन्न विशेषज्ञों ने विचार प्रस्तुत किए। इसमें सचिव, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास श्री चंद्रेश यादव, एनएचएम निदेशक डॉ. रश्मि पंत, पुलिस अधीक्षक निहारिका तोमर, विषय विशेषज्ञ सुश्री भारती अली, डॉ. संगीता गौड़, राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल, डॉ. मंजू ढौंडियाल, तथा सिविल सोसाइटी से सुश्री अदिति कौर और सुश्री कंचन चौधरी शामिल रहीं।
समापन भाषण में न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने कहा कि कार्यशाला से प्राप्त निष्कर्षों और सुझावों को ज़मीनी स्तर पर लागू करना ही वास्तविक उपलब्धि होगी।
इस अवसर पर उजाला के निदेशक, यूकेएसएलएसए के मेम्बर सेक्रेटरी, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रारगण, प्रदेश के सभी जिलों के जिला जज, पॉक्सो कोर्ट और त्वरित न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी, बाल न्यायालय बोर्डों के मुख्य न्यायाधीश तथा महिला सशक्तिकरण, पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण और पंचायती राज विभाग के अधिकारी भी उपस्थित रहे।