आपदा प्रबंधन में पीएम के टेन प्वाइंट एजेंडा को बताया मूल मंत्र, उत्तराखंड में वनाग्नि नियंत्रण पर मॉक ड्रिल
टेबल टॉप एक्सरसाइज में बोले एनडीएमए सलाहकार ले.जे. (रि) सैयद अता हसनैन, छह जिलों में मॉक ड्रिल से परखी जा रही तैयारियां

देहरादून। उत्तराखंड में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के निर्देश पर 13 फरवरी को होने वाली मॉक ड्रिल के लिए मंगलवार को टेबल टॉप एक्सरसाइज का आयोजन किया गया। इस बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), गृह मंत्रालय और उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में आपदा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई और जिलाधिकारियों व अन्य विभागीय अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
टेबल टॉप एक्सरसाइज का शुभारंभ एनडीएमए के सदस्य ले.जे. (रि) सैयद अता हसनैन ने किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टेन प्वाइंट एजेंडा आपदा जोखिम न्यूनीकरण का मूल मंत्र है और इन दस बिंदुओं पर कार्य करके आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा लेटेस्ट तकनीक को अपनाने की सराहना की और कहा कि इस मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य कमियों की पहचान करना है ताकि वास्तविक आपदा के समय कोई भी गैप न रह जाए।
उन्होंने अमेरिका के लॉस एंजेलिस में हुई भयावह वनाग्नि का उदाहरण देते हुए कहा कि यह प्राकृतिक आपदा कितनी भयानक हो सकती है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक विकसित राष्ट्र भी इसके सामने लाचार हो गया। उन्होंने 2014 में अल्मोड़ा में वनाग्नि नियंत्रण को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड की जैव विविधता और प्राकृतिक संपदा को संरक्षित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
मॉक ड्रिल से आपदा प्रबंधन की तैयारियों का आकलन
एनडीएमए के वरिष्ठ सलाहकार और मॉक ड्रिल का नेतृत्व कर रहे कमांडेंट (रि) आदित्य कुमार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम और IRS प्रणाली के तहत विभिन्न विभागों की जिम्मेदारियों को विस्तार से बताया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदा के समय सूचनाओं का निर्बाध आदान-प्रदान बहुत आवश्यक है और इसके लिए विभिन्न विभागों के बीच कॉमन कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि GIS (भौगोलिक सूचना प्रणाली) और DSS (निर्णय समर्थन प्रणाली) जैसी तकनीकों का उपयोग आपदा प्रबंधन में बहुत प्रभावी साबित हो सकता है। IRS प्रणाली के तहत जिलाधिकारियों को प्रमुख भूमिका निभानी होती है और उन्हें अपने स्तर पर प्रभावी निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए। मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपदा के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाना और संसाधनों का सही प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि इस मॉक ड्रिल की थीम ‘समुदाय की सहभागिता’ पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि स्थानीय समुदाय किसी भी आपदा के समय सबसे पहले प्रतिक्रिया देता है, इसलिए जनता को प्रशिक्षित करना और जागरूक बनाना बेहद जरूरी है।
वन विभाग की तैयारियां और तकनीकी सहयोग
अपर प्रमुख वन संरक्षक श्री निशांत वर्मा ने वनाग्नि नियंत्रण की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वन विभाग ने एक विशेष मोबाइल ऐप विकसित किया है, जिसमें लोग आग लगने की सूचना और तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं, जिससे विभाग त्वरित कार्रवाई कर सके।
उन्होंने कहा कि सेटेलाइट मॉनिटरिंग के जरिये हर छह घंटे में वनाग्नि के अलर्ट प्राप्त किए जा रहे हैं और यह जानकारी वॉट्सऐप ग्रुप्स के जरिए तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है। इसके अलावा, 1438 कमांड पोस्ट स्थापित की गई हैं और संवेदनशील क्षेत्रों में मौसम की पूर्वानुमान प्रणाली भी लागू की जा रही है।
छह जिलों में 16 स्थानों पर मॉक ड्रिल
वनाग्नि की दृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित अल्मोड़ा, चंपावत, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जिलों में 16 स्थानों पर मॉक ड्रिल आयोजित की जा रही है। इसका उद्देश्य विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को परखना, संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना, तकनीक का अधिकतम प्रयोग करना और कमियों की पहचान करना है, ताकि वास्तविक आपदा के समय त्वरित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सके।
संसाधनों की कोई कमी नहीं, सही उपयोग जरूरी – आदित्य कुमार
कमांडेंट (रि) आदित्य कुमार ने कहा कि भारत में आपदा प्रबंधन के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है, बल्कि उनका सही उपयोग और प्रबंधन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान यह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन से संसाधन जरूरी हैं और उनकी आवश्यकता के अनुसार ही मांग की जानी चाहिए। यदि कोई संसाधन बिना उपयोग के रह जाता है, तो यह प्रबंधन की विफलता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में सबसे महत्वपूर्ण कारक ‘मानव जीवन’ है, और हमारा हर प्रयास इस दिशा में होना चाहिए कि आपदा के समय अधिकतम जीवन बचाया जा सके।
उत्तराखंड में वनाग्नि नियंत्रण और आपदा प्रबंधन को लेकर एनडीएमए और राज्य सरकार द्वारा मॉक ड्रिल का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है। यह ड्रिल संसाधनों, तकनीकी उपयोग, विभागीय समन्वय और समुदाय की भागीदारी को सुनिश्चित करने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री के टेन प्वाइंट एजेंडा को लागू करके और आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके आपदा प्रबंधन को और प्रभावी बनाया जा सकता है।