मथोली गांव बना महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण पर्यटन की प्रेरणादूत मिसाल
‘ब्वारी गांव’ के नाम से प्रसिद्ध हो रहा उत्तरकाशी का मथोली, जहां महिलाएं चला रही हैं होम स्टे और गांव पर्यटन

उत्तरकाशी। उत्तराखंड का एक छोटा सा गांव मथोली आज महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण पर्यटन की मिसाल बन चुका है। कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान गांव लौटे प्रदीप पंवार की पहल से यह गांव अब ‘ब्वारी गांव’ के नाम से पहचान बना रहा है, जहां की महिलाएं खुद होम स्टे चला रही हैं, विलेज टूर करा रही हैं और पारंपरिक पहाड़ी जीवनशैली को पयर्टकों के सामने जीवंत रूप में प्रस्तुत कर रही हैं।
प्रदीप पंवार ने अपनी छानी (गौशाला) को एक खूबसूरत होम स्टे में बदलकर इसकी शुरुआत की और गांव की महिलाओं को आतिथ्य, खाना पकाने, ट्रैकिंग गाइडेंस और विलेज टूर जैसे कार्यों में प्रशिक्षित किया। इसके बाद उन्होंने गांव को ‘ब्वारी विलेज’ के रूप में ब्रांड किया ताकि महिला नेतृत्व को एक मंच मिले।
महिलाओं के लिए रोज़गार और आत्मनिर्भरता का रास्ता
प्रदीप के प्रयासों से अब तक करीब एक हजार पयर्टक मथोली आ चुके हैं, जिससे 20 से अधिक महिलाओं को समय-समय पर रोजगार मिला है। महिला अनीता पंवार बताती हैं कि अब गांव की कई महिलाएं भी अपने घरों को होम स्टे में बदलने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
सरकार दे रही है सहयोग
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 5331 होम स्टे पंजीकृत हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना के तहत मैदानी क्षेत्र में 25% और पहाड़ी क्षेत्र में 33% तक सब्सिडी दे रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मथोली गांव की सराहना करते हुए कहा,
“मथोली गांव, ग्रामीण पर्यटन के साथ ही महिला सशक्तिकरण का भी बेहतरीन उदाहरण है। जो भी परिवार होम स्टे संचालन करना चाहता है, उन्हें सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ दिया जाएगा।”
——————–
मथोली गांव केवल एक पयर्टन केंद्र नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक परिवर्तन की कहानी है, जहां महिलाएं अब आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की मिसाल पेश कर रही हैं। उत्तराखंड के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिए मथोली एक आदर्श बन चुका है।