Uttarakhand

जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन को नई गति — SARRA की बैठक में ₹2468.55 लाख की कार्य योजनाओं को मिली मंजूरी

वन डिस्ट्रिक्ट, वन रिवर” की अवधारणा पर हर जनपद तैयार करेगा अपनी जल संरक्षण कार्ययोजना

देहरादून, 08 अक्टूबर 2025 (सू.वि)
राज्य में जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्प्रिंग एंड रिवर रीजुविनेशन अथॉरिटी (SARRA) की राज्य स्तरीय कार्यकारी समिति (SLEC) की बैठक आज सचिवालय स्थित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता सचिव जलागम एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी SARRA श्री दिलीप जावलकर ने की।

बैठक में ₹2468.55 लाख की कुल लागत वाली आठ नई कार्ययोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई, जिनमें से ₹1861.16 लाख की धनराशि SARRA द्वारा आवंटित की जाएगी। ये योजनाएँ प्रदेश के विभिन्न जनपदों में जल स्रोतों और नदियों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन को सशक्त करने के उद्देश्य से बनाई गई हैं।


❖ “वन डिस्ट्रिक्ट, वन रिवर” मॉडल पर कार्ययोजना

श्री जावलकर ने सभी जनपदों को “वन डिस्ट्रिक्ट, वन रिवर” (One District, One River) की अवधारणा पर आधारित कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद अपनी एक प्रमुख या संकटग्रस्त नदी की पहचान करे और उसके कैचमेंट एरिया में जल स्रोतों के पुनर्जीवन एवं संचयन कार्यों को प्राथमिकता से लागू करे।

सचिव ने निर्देश दिए कि जनपदीय स्तर पर SARRA समितियों की नियमित बैठकें आयोजित कर प्रस्ताव तैयार किए जाएँ और उन्हें आगामी राज्य स्तरीय बैठक में प्रस्तुत किया जाए।


❖ पारंपरिक धारों और नौलों का पुनर्जीवन

श्री जावलकर ने कहा कि उत्तराखंड की पारंपरिक धाराएँ और नौले केवल जल स्रोत नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक धरोहर हैं। इनका पुनर्जीविकरण जल संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति के संरक्षण का भी प्रतीक है। उन्होंने निर्देश दिया कि ग्राम पंचायत स्तर पर धारा-नौला संरक्षण समितियों का गठन शीघ्र किया जाए, जिन्हें SARRA द्वारा वित्तीय और तकनीकी सहायता दी जाएगी।

सचिव ने ईको-फ्रेंडली संरचनाओं के निर्माण और स्थानीय स्तर पर पैराहाइड्रोलॉजिस्टों की तैनाती पर भी जोर दिया, ताकि जल संरक्षण के कार्यों में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।


❖ स्थायी अनुबंध और समन्वित प्रयास

सचिव ने निर्देश दिए कि SARRA से जुड़ी कार्यदायी संस्थाओं के साथ स्थायी अनुबंध (Permanent MoUs) किए जाएँ, ताकि योजनाओं के निष्पादन में निरंतरता और जवाबदेही बनी रहे। उन्होंने कहा कि सिंचाई, लघु सिंचाई, कृषि, ग्राम्य विकास और वन विभागों सहित सभी संबंधित विभाग समन्वित रूप से कार्य करें।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्षा ऋतु के बाद निर्मित आरसीसी चेक डैमों की स्थिति का मूल्यांकन किया जाए, जिससे संरचनाओं की कार्यकुशलता और स्थायित्व का आकलन हो सके।


❖ ₹1 करोड़ से अधिक लागत की आठ योजनाएँ स्वीकृत

बैठक में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती कहकशां नसीम ने ₹1 करोड़ से अधिक लागत वाली आठ कार्ययोजनाओं का विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। इनमें —

  • पौड़ी जनपद की तीन योजनाएँ,
  • नैनीताल की दो,
  • चंपावत की एक, और
  • पिथौरागढ़ की दो योजनाएँ शामिल हैं।

❖ व्यापक भागीदारी और तकनीकी सहयोग

बैठक में संयुक्त निदेशक डॉ. ए.के. डिमरी, परियोजना निदेशक कुमाऊँ डॉ. एस.के. उपाध्याय, परियोजना निदेशक गढ़वाल डॉ. एन.एस. बर्फाल, NIH, IIT रुड़की, केंद्रीय भूजल बोर्ड, विभिन्न जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी, सिंचाई, लघु सिंचाई, कृषि, ग्राम विकास विभागों के अधिकारी एवं एनजीओ प्रतिनिधि ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।

साथ ही SARRA की राज्य स्तरीय टीम भी बैठक में उपस्थित रही।

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